आज का उद्धरण

अहम् सक्षम को भी नहीं शोभता और अक्षम के लिए तो अहम्  एक मजाक ही है। जो कहता है कि अहम्  या घमंड यौवन का धर्म है, वह सच नहीं …

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आज का उद्धरण

ऐसी बहुत सी  बातें होती हैं जो लिखी नहीं जातीं, जिनको लेकर लिखना उचित भी नहीं होता। जिनको लेकर लिखना मनुष्य की रूचि के विरुद्ध है। … जड़ के जिस …

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आज का उद्धरण

सन्देह यों ही एक ऐसा सर्प होता है जिसका फन हो या न हो, नज़र पड़ते ही सारे शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। जब तक सामने रहता है तब …

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आज का उद्धरण

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में मनुष्य के पास समय ही कहाँ है! मनुष्य का आज का धर्म हो गया है- आगे बढ़ते चलो-सबको पीछे छोड़ते चलो-धक्का मारकर, चोट पहुँचाकर- किसी …

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